Women’s Reservation Bill 2023:महिला आरक्षण Bill क्या है, कैसे मिलेगा महिलाओं को Benefit ?

Women’s Reservation Bill:

महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) भारतीय संसद (पार्लियामेंट) में महिलाओं के लिए सीटों की आरक्षण की मांग करने वाले एक प्रस्तावित कानून होता है। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य है महिलाओं को संसदीय प्रतिनिधि मंडलों में अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देना, ताकि समाज में उनकी भागीदारी और साक्षरता बढ़ सके।

महिला आरक्षण विधेयक के प्रस्तावक यह कहते हैं कि यह विधेयक महिलाओं को संसदीय प्रतिनिधि मंडलों में 33% सीटों की आरक्षण प्रदान करेगा, जिससे महिलाएं सार्वजनिक नीतियों और निर्णयों में अधिक भागीदारी कर सकेंगी।

इस विधेयक को पार्लियामेंट में पास करने के लिए बहुत सारे प्रयास किए गए हैं, लेकिन अब तक यह पूरी तरह से कानून नहीं बन पाया है। इस पर विभिन्न विचारधाराओं और संगठनों के बीच मतभेद रहे हैं।

महिला आरक्षण विधेयक को गणराज्य के समाजिक और सामाजिक समृद्धि के दिशानिर्देशक रूप में देखा जाता है जो महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का प्रयास करता है।

Women's Reservation Bill
Women’s Reservation Bill


Women’s Reservation Bill में क्या है खास ?

महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान होते हैं जो महिलाओं के संसदीय प्रतिनिधि मंडलों में प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए बनाए गए हैं:

  1. 33% की आरक्षण: इस विधेयक का मुख्य प्रावधान है कि 33% सीटें संसदीय प्रतिनिधि मंडलों में महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी। यह महिलाओं को संसदीय मामलों में अधिक से अधिक भागीदारी देने का प्रयास करता है।
  2. विवादों का समाधान: विधेयक में यह भी प्रावधान है कि महिलाओं के आरक्षित सीटों पर होने वाले किसी भी प्रकार के विवादों का समाधान कैसे होगा, यह विस्तार से बताया जाता है।
  3. प्रतिष्ठित वर्ग के लिए आरक्षण: विधेयक के अनुसार, आरक्षित सीटों का आरक्षण विभिन्न प्रतिष्ठित वर्गों के लिए अनुमानित जाता है, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों की महिलाएं संसद में प्रतिनिधित हो सकें।
  4. समय सीमा: विधेयक में समय सीमा भी निर्धारित की जाती है, जिसके अनुसार यह आरक्षण कितने सालों तक लागू रहेगा, इसे भी दिनांकों के साथ निर्धारित किया गया है।

महिला आरक्षण विधेयक के माध्यम से, समाज में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि वे सार्वजनिक नीतियों और निर्णयों में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकें।


महिलाओं को क्या फायदा होगा ?

महिलाओं को महिला आरक्षण विधेयक के पास होने वाले कुछ मुख्य फायदे हो सकते हैं:

  1. सार्वजनिक नीतियों में भागीदारी: यह विधेयक महिलाओं को संसदीय प्रतिनिधि मंडलों में अधिक सीटों की आरक्षण प्रदान करके सार्वजनिक नीतियों और निर्णयों में अधिक भागीदारी का मौका देता है। इसका मतलब है कि महिलाएं समाज में अपनी आवाज को सुनवाई करने का अधिक मौका पाएंगी और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
  2. समाज में सामाजिक बदलाव: महिला आरक्षण विधेयक के माध्यम से महिलाओं को संसद में अधिक प्रतिनिधित्व मिलने से समाज में सामाजिक बदलाव भी आ सकता है। इसके बाद, महिलाएं समाज के विभिन्न पहलुओं में अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं और समाज में सामाजिक समानता की दिशा में योगदान कर सकती हैं।
  3. महिला शक्ति की वर्दी: यह विधेयक महिलाओं को एक महिला प्रतिनिधि के रूप में प्रतिष्ठा और प्रभाव का अवसर प्रदान करता है, जिससे वे और महिलाएं अपने सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित होती हैं।
  4. समाज के विकास में योगदान: महिलाओं के संसद में अधिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विकास के कई पहलुओं में योगदान किया जा सकता है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और समाज कल्याण।
  5. सामाजिक सुरक्षा: महिलाओं के प्रतिनिधित्व के माध्यम से समाज में उनके अधिक सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक स्वावलंबन के अवसर हो सकते हैं।

इन तरह से, महिला आरक्षण विधेयक महिलाओं के समाज में अधिक साक्षरता, सशक्तिकरण, और सामाजिक समानता के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।


कब और कैसे लागू हो सकता है ?

महिला आरक्षण विधेयक को पास करने और इसे लागू करने की प्रक्रिया भारतीय संसद में होती है, और यह अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, और अन्य आरक्षित वर्गों के लिए भी लागू किया जा सकता है।

लागू करने के लिए कदम:

  1. पास करने का प्रयास: सबसे पहले, महिला आरक्षण विधेयक को संसद के दो प्रमुख सदनों, जैसे कि लोक सभा और राज्य सभा में पास करने के लिए प्रयास किया जाता है। इसके लिए संसद के सदस्यों के बीच मतभेद और चर्चा होती है।
  2. समर्थन प्राप्त करना: विधेयक को पास करने के लिए उसे संसद के सदस्यों की अधिकांश से समर्थन प्राप्त करना आवश्यक होता है।
  3. राष्ट्रपति की मंजूरी: विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पार करने के बाद, यह राष्ट्रपति की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
  4. लागू करना: राष्ट्रपति के समर्थन के बाद, विधेयक को चिन्हित करके लागू किया जाता है और वह कानून बन जाता है।

महिला आरक्षण विधेयक को पास करने का प्रयास बार-बार किया गया है, लेकिन इसका पूर्णरूप से कानून नहीं बना है। इसके पास विभिन्न पार्टियों के सदस्यों और समूहों के बीच मतभेद हैं। लागू करने की तारीके और समय सीमा स्थापित करने के लिए सरकार और संसद के निर्णय पर निर्भर करेगा।

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